यस आई एम–4 [क्राइम सीन]
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तृष्णा पढ़ते पढ़ते ही सो गई थी। अचानक से वह हाँफते हुए उठी।
"ये कैसा सपना था?" उसकी आवाज में डर साफ़ झलक रहा था। उसने पास में रखी हुई पानी की बॉटल उठाई और एक ही सांस में गटक गई। वह खुद को सामान्य बनाते हुए बोली। "कितनी साइको लड़की थी वो! ऐसा कोई कैसे कर सकता है? खुद को ही चारा बनाया उस लड़की ने।" तभी ना जाने उसके दिमाग में क्या आया, उसके चेहरे के भाव बदलने लगे। वह अपनी जगह से उठी और सीढियों से होती हुई नीचे चली आई और एक गलियारे को पार कर सीधा लाइब्रेरी में पहुंच गई। लाइब्रेरी बहुत बड़ी थी। उसके काउंटर पर एक लड़की बैठी हुई थी। सामान्य पहनावे में वह सुंदर दिख रही थी और चेहरे के भावों से बेहद शांत। उसकी उम्र तकरीबन तीस साल के आसपास होगी। बालों का रंग हल्का भूरा था।
"श्रेयाँशी दी!" कहते हुए वह उसके पास चली गई।
"क्या हुआ मिस पीसी?" श्रेयाँशी ने चिढ़ाते हुए कहा।
"कैसा नाम है ये? ऐसा लग रहा है किसी मशीन का नाम हो।" तृष्णा ने आंखें गोल करते हुए कहा।
"बड़ा प्यारा।" श्रेयाँशी ने जवाब दिया और फिर होठ भींच कर हँसने लगी।
"मतलब क्या है इसका?" तृष्णा ने आंखे गोल करते हुए पूछा।
"पीस ऑफ कंप्यूटर।" श्रेयाँशी ने बताया और फिर जोर जोर से हंसने लगी।
जवाब सुनकर तृष्णा मुंह बनाने लगी। उसे इस तरह से देख श्रेयाँशी ने उसे अपने पास बुलाया और फिर आगे बोली। "कितना तो सही नाम रखा है मैंने।"
"खाक बढ़िया नाम है पीसी।" तृष्णा झूठी नाराजगी दिखाते हुए बोली।
"तो और क्या नाम रखूँ? जब भी देखो अपने लैपटॉप में ही लगी रहती हो।" श्रेयाँशी ने झूठा गुस्सा दिखाते हुए बताया।
"ओए दीदू! बस भी करो। आपको बस मेरी टांग खींचने का मौका चाहिए होता है।" तृष्णा ने बड़ी ही मासूमियत के साथ कहा और फिर आगे बोली। "मुझे कुछ जरूरी काम था आपसे।" तृष्णा ने अपना लहजा थोड़ा गंभीर किया।
"क्या हुआ बच्चा? क्या हुआ? कोई जरूरी काम है?" श्रेयाँशी ने उसके चेहरे के बदलते हुए भावों को पढ़ने की कोशिश करते हुए पूछा।
"वो सोच रही हूं कि लाइब्रेरी में कुछ कहानियों की किताबें भी रखवा लूं और साथ ही साथ उपन्यास भी। जो आजकल ट्रेंडिंग में है।" तृष्णा ने सपाट भाव से कहा।
इतना सुनते ही श्रेयाँशी जोर जोर से हँसने लगी और फिर रुक कर बोली। "अरे बच्चा! मुझे लगा पता नही क्या हुआ जो तुम इतनी सीरियस हो गई। मैने हर तरह की किताबें मंगवाई हुई है।"
"अच्छा।" इतना कहते ही तृष्णा चुप हो गई।
"और नही तो क्या। तुम्हारे सभी दोस्त यही से ही तो कहानियों की किताब ले जा कर पढ़ते है।" श्रेयाँशी का जवाब सुन कर तृष्णा के चेहरे पर मिले जुले से भाव आए और फिर कुछ सोचते हुए बोली। "आपको भी कहानी पढ़ने का शौंक है क्या?"
“बहुत ज्यादा।” श्रेयाँशी ने उछलते हुए जवाब दिया। उसकी आंखों में चमक साफ दिखाई दे रही थी।
"वैसे कैसी कहानियां पसंद है आपको?" तृष्णा ने तहकिकात करते हुए पूछा।
"वैसे अगर लेखक अच्छा लिखता है तो हरsa तरह की। पर मुझे मर्डर मिस्ट्री ज्यादा पसंद है। इन्हें पढ़ने में अलग ही लेवल का मजा आता है।" श्रेयाँशी ने जवाब दिया। उसे देखकर लग रहा था मानो वह अपनी पसंदीदा उपन्यास में चली गई हो।
"अगर मैं कोई कहानी लिखूं?" तृष्णा ने बड़ी धीमी आवाज में पूछा। जिसे सुनकर श्रेयाँशी ने पहले उसे देखा और फिर जोर जोर से पागलों की तरह हंसने लगी।
“क्या हुआ?” तृष्णा ने किसी छोटे बच्चे की तरह मुंह बनाते हुए पूछा।
“तुम और कहानी।” श्रेयाँशी बड़ी मुश्किल से अपनी बात कह पाई।
"मै नही लिख सकती?" तृष्णा ने अनमने भाव के साथ पूछा।
"अरे बच्चा!" कहते हुए श्रेयाँशी शांत हो गई और फिर आगे बोली। “मेरा ऐसा कोई मतलब नहीं था। वो तुम्हें तो कहानियों से नफरत है ना इसलिए पूछा।”
"ऐसा क्या।" तृष्णा ने खुद को सामान्य बनाते हुए जवाब दिया और फिर आगे बोली। “बस सोच रही हूं कि लिख लूं।”
“कुछ हुआ है?” श्रेयाँशी ने पूछा।
तृष्णा ने कुछ पल के लिए अपनी सोच में रही और फिर आगे बोली। “वारिजा के साथ शर्त लगी है। अब तो उसे लिख कर दिखाऊँगी।”
“ठीक है।” श्रेयाँशी ने बात समझते हुए जवाब दिया और फिर आगे बोली। “मेरी कोई मदद चाहिए?”
“जरूर!" तृष्णा ने जवाब दिया।
“तुमने अपने नैचर के हिसाब से मर्डर मिस्ट्री लिखनी चाहिए। मार पीट में तो तुम आगे हो और तुम्हारा गुस्सा तो हमेशा नाक पर रहता है।” श्रेयाँशी ने मजे लेते हुए कहा।
“ठीक है। मै लिखने चली।” कहते हुए तृष्णा वहां से जाने लगी।
“अरे रूको!” श्रेयाँशी ने मुंह से ये शब्द निकलते ही तृष्णा अपनी जगह पर रुक गई।
“ऐसे ही लिखने चल दी।” कहते ही श्रेयाँशी मुस्कुरा दी और फिर आगे बोली। “पहले तो कोई कहानी पढ़ लो ताकि पता चले कि कहानी लिखते कैसे है। फिर प्लॉट बनाना और उसके बाद कहानी लिखना।”
"ठीक है।" तृष्णा ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया और फिर बोली "वैसे कोई मर्डर मिस्ट्री की किताब है क्या?"
"हां, लाइब्रेरी में है। ब्लड: ए मर्डर मिस्ट्री। बड़ी लाजवाब किताब है।" श्रेयाँशी ने तारीफ करते हुए कहा।
"थैंक्स दी।" तृष्णा ने धीरे से कहा।
"किताब का नाम बताने के लिए?" श्रेयाँशी ने गर्दन झुकाए खड़ी हुई तृष्णा को ध्यान से देखते हुए पूछा।
"नही।" तृष्णा कुछ देर रुकी और फिर आगे बोली। "लाइब्रेरी को इतने अच्छे से संभालने के लिए।"
"धत्त पगली।" कहते ही श्रेयाँशी हँसने लगी और फिर आगे बोली। "तुमने भी तो जरूरत के वक्त मेरी मदद की थी। जब हर किसी ने मेरा साथ छोड़ दिया था।" श्रेयाँशी के चेहरे के भाव बदलने लगे। वह आगे कुछ कह पाती। तृष्णा बात बदलते हुए बोली। "अरे दीदू! आप भी ना। मुझे तो काम करने वाले की जरूरत थी और आपको काम की जरूरत थी। बस और क्या किया मैने?" तृष्णा की बात सुनते ही श्रेयाँशी हँसने लगी। जिसे देखकर तृष्णा भी मुस्कुरा दी और फिर कुछ सोचते हुए बोली। "मर्डर मिस्ट्री। इंटरस्टिंग.।" कहते हुए वह काउंटर से सीधा लाइब्रेरी में चली गई और फिर इधर उधर देखने लगी।
वह यहां पर कम ही आती थी। उसे श्रेयाँशी पर पूरा भरोसा था। उसने इधर उधर नजरें दौड़ते हुए देखा तो पाया कि हर उम्र के लोग लोग किताब पढ़ने के लिए आए हुए थे और उनमें पूरी तरह से खोए हुए थे। तृष्णा लाइब्रेरी ग्रीन सिटी में बहुत फैमस थी।
अचानक से उसकी नजर वहां पर मौजुद टेबल पर रखी हुई एक किताब पर पड़ी। जिस पर बड़े बड़े अक्षरों में लिखा हुआ था ‘ब्लड: एक मर्डर मिस्ट्री।’
“शुक्र है सामने ही मिल गई।” तृष्णा ने किताब को देखते हुए कहा। उसने किताब को उठाया और श्रेयाँशी को उसके बारे में बता कर ऊपर चली गई। उसने जाते ही किताब को बेड पर रखा और वहां से बाहर चली गई। जब वह वापिस लौटी तो उसके हाथ में एक कॉफी मग था। उसने बेड के ऊपर से किताब उठाई और कॉफी मग लेकर स्टडी टेबल पर जाकर बैठ गई। कॉफी की चुस्की लेते हुए किताब पढ़ने लगी।
अभय ने मनोहर लाल को वहां से भेज दिया और फिर लाश की छानबीन करने लगा। वह इधर उधर टहलते हुए लाश को देख रहा था। कल रात हुई बारिश की वजह से लाश का खून वहां मौजूद कीचड़ में पूरी तरह से मिल चुका था। दुबे इन्वेस्टिकेशन का समान लेकर अभय के पास आ गया।
उसके आते ही अभय ने उसकी ओर हाथ बढ़ा दिया। बदले में दुबे ने उसके हाथ में दस्ताने रख दिए। अभय उन्हें पहनने लगा जबकि दुबे ने पहले ही पहन लिए थे।
"दुबे! तुम इस लाश की आइडेंटिटी चेक करो।" दस्ताने ऊपर चढ़ाते हुए अभय ने कहा।
"जी सर।" कहते के तुरंत बाद दुबे लाश की छान बीन करने लगा।
जैसे ही दुबे लाश को साफ करने लगा वैसे ही उसे उसमें से दुर्गंध आने लगी। वह अपनी नाक भींचते हुए बोला। "सर! इस ने कल रात बहुत ज्यादा पी हुई थी। इतनी ज्यादा कि इसमें से अभी तक भी बदबू आ रही है।"
इतना सुनते ही अभय उस लाश को गौर से देखने लगा। लाश पर जगह जगह खरोंचों के निशान दिखाई दे रहे थे। पंजे के निशान किसी जंगली जानवर के थे। दुबे को वही छोड़कर अभय अपनी जगह से खड़ा होकर आस पास छानबीन करने लगा। पर उसे सुराख के नाम पर वहां कुछ नही मिला।
"सर!" आगे बढ चुके अभय को दुबे की आवाज सुनाई दी। वह वही से वापिस लौट आया।
"मरने वाले का नाम राहुल मेहरा था।" दुबे आगे कुछ कह पाता उस से पहले ही अभय बोल पड़ा। "इसके अलावा कुछ और पता चला लाश के बारे में?" अभय ने आते हुए पूछा।
"ये लाश जाने माने बिजनेस मैन मिस्टर मेहरा के बेटे की है।" वह रुका और फिर बोला। "जिसकी सुबह सुबह ही किडनैप होने की रिपोर्ट लिखवाई गई थी।"
"इसके खिलाफ कोई केस फाइल है क्या?" अभय ने जवाब देने की बजाए सवाल पूछा।
"नही सर! या फिर हां।" दुबे ने असमंजस की स्थिति में जवाब दिया।
"क्या मतलब?" अभय ने दुबे को घूरते हुए पूछा।
"मतलब इसके खिलाफ ड्रग्स केस से लेकर, रेप जैसे केस भी फाइल हुए थे। पर सबूतों के ना मिलने पर वह बच निकला।" दुबे ने अफसोस के साथ बताया और फिर आगे बोला। "कुछ दिन पहले ऐ जे यूनिवर्सिटी में होने वाले रेप केस में भी इसी का ही हाथ था।" कहते हुए दुबे चुप हो गया था।
"तुमने बोला कि इसने ड्रिंक की हुई थी। यहां आस पास कोई क्लब या फिर बार है क्या?" अभय ने कुछ सोचते हुए पूछा।
"जी सर! यहां से कुछ ही दूरी पर है।" दुबे ने जवाब दिया।
"लगता है बार और ऐ जे यूनिवर्सिटी दोनों जगह जाना पड़ेगा।" अभय कुछ देर रुका और फिर आगे बोला। "एंबुलेंस को बुला कर लाश को फोरेंसिंक लैब भेज दो।" अभय के कहते ही वहां पर एक एंबुलेंस आ गई। उसके आते ही वह बोला। "अरे वाह। हमारे यहां सर्विस कब से टाइम पर आने लगी?"
"मैंने पहले ही एंबुलेंस बुला ली थी।" दुबे ने जवाब दिया।
"गुड जॉब। तुम्हारे साथ काम करने में मजा आएगा।" कहते ही अभय वहां से जीप की तरफ बढ़ गया। दुबे ने लाश को एंबुलेंस में चढ़ाया और फिर उसे वहां से रवाना कर दिया। दोनों जीप में बैठे और वहां से रवाना हो गए।
★★★
जारी रहेगी...मुझे मालूम है आप सभी समीक्षा कर सकते है बस एक बार कोशिश तो कीजिए 🤗❤️
hema mohril
25-Sep-2023 03:20 PM
Nice
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Arman
29-Jan-2022 06:20 PM
Kahani bahut achchi h aapki padh kar achcha lag raha h
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Shalu
07-Jan-2022 02:00 PM
Nice
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